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मंदिर प्रार्थना
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भागवत / भगवद्गीता वर्ग प्रार्थना का अनुक्रम
भागवत / भगवद्गीता / आध्यात्मिक कथा / वर्ग के लिए प्रार्थना का अनुक्रम
जय राधा माधव, कुन्ज बिहारी ॥ धृ ॥
जय गोपी जन वल्लभ, गिरिवर धारी ॥
यशोदा नंदन, ब्रज जन रंजन ।
यमुना तीर, वन चारि ॥
जय राधा माधव, कुन्ज बिहारी ॥ धृ ॥
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम् |
देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत् ||
शृण्वतां स्वकथा: कृष्ण: पुण्यश्रवणकीर्तन: ।
हृद्यन्त:स्थो ह्यभद्राणि विधुनोति सुहृत्सताम् ॥
नष्टप्रायेष्वभद्रेषु नित्यं भागवतसेवया ।
भगवत्युत्तमश्लोके भक्तिर्भवति नैष्ठिकी ॥
कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नंदनाय च ।
नंदगोपकुमाराय गोविंदाय नमो नमः ॥
भागवत / भगवद्गीता / कथा वाचन का ग्रंथ - के श्लोक का वाचन - 3 बार - कथाकार वक्ता के पीछे श्रोता दोहराए
शब्दश: भाषांतर वाचन
भाषांतर एवं तात्पर्य श्री श्रीमद् कृष्णकृपाश्रीमूर्ती अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी महाराज श्रील प्रभुपाद के द्वारा
(श्रीमद-भागवतम् १०.१३.६४ तक श्रील प्रभुपाद के द्वारा - इस श्लोक के पश्चात के श्लोक के लिए
भाषांतर एवं तात्पर्य श्रील प्रभुपाद के वरिष्ठ शिष्योंद्वारा
ऐसा कहें )
श्रील प्रभुपाद की – जय!
संपूर्ण श्लोक का भाषांतर वाचन
तात्पर्य वाचन
मंगलाचरण -
संक्षिप्त
- अथवा -
विस्तृत
कथा
प्रश्न - उत्तर / टीका / टिप्पणी
श्रीमद्भगवद्गीता / श्रीमद-भागवत महापुराण की – जय!
अनंत कोटी वैष्णववृंद की जय !
श्रील प्रभुपाद की – जय!
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